पानी में मीन पियासी | कबीर भजन
शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।

Find Us On:

Hindi English
पानी में मीन पियासी | भजन (अन्य काव्य) 
Click To download this content    
Author:कबीरदास

पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।

आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी।
मिरगा नाभि बसे कस्तूरी, बन बन फिरत उदासी।।
पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।।

जल-बिच कमल कमल बिच कलियाँ तां पर भँवर निवासी।
सो मन बस त्रैलोक्य भयो हैं, यति सती सन्यासी।
पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।।

है हाजिर तेहि दूर बतावें, दूर की बात निरासी।
कहै कबीर सुनो भाई साधो, गुरु बिन भरम न जासी।

- कबीर

Posted By Prof.(Dr.) VIKRAMDEV   on Monday, 18-Jun-2018-01:42
ॐ सतगुरु कबीर साहब आदि संत हैं . उनके विना संत मत की परिकल्पना नही की जा सकती है . सतगुरु कबीर को शत कोटि नमन .
Previous Page  | Index Page  |    Next Page
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments