कबीर साहित्य - दोहे, साखियाँ, पद व कबीर भजन
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पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी।मिरगा नाभि बसे कस्तूरी, बन बन फिरत उदासी।।पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।।जल-बिच कमल कमल बिच कलियाँ तां पर भँवर निवासी।सो मन बस त्रैलोक्य भयो हैं, यति सती सन्यासी।पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।।है हाजिर तेहि दूर बतावें, दूर की बात निरासी।कहै कबीर सुनो भाई साधो, गुरु बिन भरम न जासी।- कबीर