कबीर साहित्य - दोहे, साखियाँ, पद व कबीर भजन
Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'
कबीर (1398-1518) 15वीं शताब्दी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। उनके लेखन ने हिंदू धर्म के भक्ति आंदोलन को प्रभावित किया। काव्य में उनके दो रूप दिखाई पड़ते हैं -सुधारक रूप तथा साधक (या भक्त) रूप।
विदेशों में अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, त्रिनिदाद और टोबैगो, ऑस्ट्रेलिया, फीजी, न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका, मारीशस, गयाना, म्यॉमार, भूटान, नेपाल, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान यानी विश्व भर में कबीर पंथी तथा कबीर के अनुयायी सक्रिय हैं।
न्यूजीलैंड की कबीर परंपरा से जुड़ी हुई संस्थाएँ
हालांकि न्यूजीलैंड में कबीर परंपरा से जुड़ी हुई औपचारिक रूप से संस्थाएँ तो नहीं है लेकिन न्यूजीलैंड अनेक कबीर अनुयायी हैं, विशेषतः गुजराती। एक विशेष बात यह है कि न्यूजीलैंड से कबीर पर 'कहत कबीर' नाम से एक हिन्दी पोर्टल संचालित है। पूर्णतया कबीर को समर्पित भारत से बाहर यह एकमात्र वेब साइट है। इस वेबसाइट में कबीर का जीवन परिचय, कबीर का साहित्य व अन्य सामग्री उपलब्ध करवाई गई है। यह वेब साइट न्यूज़ीलैंड से 'भारत-दर्शन' द्वारा संचालित है।
संत कबीर के अतिरिक्त गुरु रैदास (रवि दास) के भी विश्व भर में धार्मिक अनुयायी हैं। पूरे विश्व में गुरु रविदास के गुरुद्वारे स्थापित हैं। न्यूज़ीलैंड में भी इनके दो गुरुद्वारे, 'गुरु रविदास टैम्पल' के रूप में स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त गुरु रविदास सभा भी सक्रिय है।
सिख गुरुओं की बाणी (वाणी) भी अनेक गुरुद्वारों के माध्यम से प्रचारित/प्रसारित होती है। यहाँ यह तथ्य जानने योग्य है कि संत कबीर, संत रविदास व गुरु नानक इत्यादि की बाणी धार्मिक रूप से ही प्रचारित होती है।
ऑस्ट्रेलिया में कबीर और कबीर पंथ
ऑस्ट्रेलिया में कबीर पंथ सक्रिय है और यहाँ कबीर सत्संग होता है। कबीर सत्संग के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया में कबीर पंथ की एक एसोसिएशन भी है।
फीजी में कबीर और कबीर पंथ
फीजी में कबीर पंथ सभा अनेक दशकों से संचालित है। कबीर पंथ सत्संग ग्रुप और कबीर पंथ सम्मेलन महासभा फीजी के प्रमुख नगरों में सक्रिय हैं।
विश्व भर में कबीर पंथ, कबीर सभा तथा कबीर सत्संग सक्रिय हैं।
कबीर निःसन्देह विश्वव्यापी हैं लेकिन भारत से बाहर कबीर धार्मिक रूप से अधिक प्रतिष्ठित जान पड़ते हैं।