ऋतु फागुन नियरानी हो | कबीर सबद
उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।

Find Us On:

Hindi English
ऋतु फागुन नियरानी हो | कबीर सबद (सबद) 
Click To download this content    
Author:कबीरदास

तु फागुन नियरानी हो, कोई पिया से मिलावे ॥ टेक ॥
सोई तो सुदंर जाके पिया को ध्यान है,
                              सोइ पिया के मन मानी।

खेलत फाग अगं नहिं मोड़े, सतगुरु से लिपटानी ॥ १ ॥

 

इक इक सखियाँ खेल घर पहुँची, इक इक कुल अरुझानी ।
इक इक नाम बिना बहकानी, हो रही ऐंचातानी ॥ २ ॥

 

पिय को रूप कहाँ लग बरनौं, रूपहि माहिं समानी ।
जौ रँगे रँगे सकल छबि छाके, तन- मन सभी भुलानी ॥ ३


यों मत जाने यहि रे फाग है, यह कछु अकथ कहानी ।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह गति बिरले जानी ॥ ४ ॥

- कबीर

 

 

Previous Page  | Index Page  |    Next Page
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

Subscription

Contact Us


Name
Email
Comments