मन लागो यार फकीरी में | सबद

माया का आकर्षण इतना प्रबल है कि कोई विरला ही गुरु कृपा से इससे बच पाता है। - कबीर

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मन लागो यार फकीरी में | सबद (सबद) 
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Author:कबीरदास

मन लागो यार फकीरी में ।

जो सुख पावो राम भजन में, सो सुख नाही अमीरी में ।
भला बुरा सब का सुन लीजै, कर गुजरान गरीबी में ॥

प्रेम नगर में रहिनी हमारी, बलि बलि आई सबुरी में ।
हाथ में खूंडी, बगल में सोटा, चारो दिशा जागीरी में ॥

आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा, कहाँ फिरत मगरूरी में ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, साहिब मिले सबुरी में ॥

- कबीर

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