कबीर किंवंदतियां
परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।

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किंवंदतियां

कबीर के जीवन से जुड़ी हुई प्रचलित किंवंदतियां।

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नीरु और नीमा का बालक कबीर को पाना | किंवंदती - संकलन

नीरु जुलाहा काशी नगरी में रहता था। एक दिन नीरु अपना गवना लेने के लिए, ससुराल गया। नीरु अपनी पत्नी नीमा को लेकर आ रहा था। रास्ते में नीमा को प्यास लगी। वे लोग पानी पीने के लिए लहर तालाब पर एक अति सुंदर बालक को हाथ-पाँव हिलाते देखा। उसने बालक को अपनी गोद में उठा लिया और अपने पति नीरु के लौट आई। फिर सारा वृतांत कह सुनाया।
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कबीर किंवंदतियां - संकलन

कबीर के जन्म, जीवन व देहांत को लेकर अनेक जनश्रुतियाँ हैं। इन किंवंदतियों की प्रमाणिकता को लेकर भी अनेक मतभेद हैं किंतु जो किंवंदतियां प्रचलित है उन्हें यहाँ संग्रहित किया गया है।
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कबीर का नामकरण | किंवंदती - संकलन

काशी के लोगों को जब मालूम हुआ कि नीरु अपनी पत्नी के साथ एक बालक भी लाया है, तो लोग जमा होकर हँसने लगे। नीरु ने तब बालक के बारे में सारी बातें सुनाई।

नीरु बालक का नाम धरवाने के लिए एक ब्राह्मण के पास गया। जब ब्राह्मण अपना पत्रा लिए नाम के बारे में विचार ही रहा था कि बालक ने कहा -  'हे ब्राह्मण ! मेरा नाम कबीर है। दूसरा नाम रखने की चिंता मत करो।'
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